
पुस्तकें किसी भी व्यक्ति की भावनाओं या उनके विचारों के प्रचार एवं प्रसार का सशक्त माध्यम है। प्राचीन काल में जबकि छपाई-रंगाई के साधन नहीं थे तब भी हमारे देश में अनेक महान ऋषि -मुनि अपने द्वारा दिए जाने वाले ज्ञान को ताड़-पत्र पर लिखकर उसे सहेज कर रखते थे जैसे-जैसे मानव सभ्यता का विकास हुआ, तकनीकी युग आरंभ हुआ तब छापाखाना (प्रिंटिंग मशीन) के आविष्कार से विभिन्न पुस्तकों का निर्माण करना आसान हो गया। अधिक संख्या में पुस्तकों के निर्माण से इसकी पहुँच आम जनता तक हो गई ,इससे ज्ञान विज्ञान के एक नए युग का आरंभ हुआ।
पुस्तकें हम सभी के जीवन में प्रेरणा देने का कार्य करती हैं, पुस्तकों से ज्ञान प्राप्त करके ही इंसान पूरी दुनिया को अपने विचारों से प्रभावित करने की क्षमता रखता है। महात्मा गांधी जी को भी श्रीमद्भागवत गीता से ही अन्याय के विरुद्ध आवाज उठाने की प्रेरणा मिली। तुलसीदास कृत रामचरितमानस तथा वेद व्यास कृत महाभारत जैसे अमूल्य निधि ने संपूर्ण युग को तथा भावी पीढ़ी को प्रेरित एवं प्रभावित किया। इन विभिन्न महान कृतियों ने आदिकाल से अब तक न केवल हमारा सही रूप में मार्गदर्शन किया बल्कि हमारे देश के गौरव पूर्ण इतिहास तथा सांस्कृतिक व साहित्यिक विरासत को संभाल कर रखा।
पुस्तके हमारी सच्ची मित्र होती हैं जो हमें ज्ञान रुपी वह अनमोल मोती देती हैं जिन्हें पिरोकर हम अपने जीवन को सही आयाम दे पाते हैं। यदि हम बुरे मित्रों से संगति रखते हैं तो हममे भी कुसंस्कार ही विकसित होगा जबकि अच्छे मित्र न होने पर भी यदि हम पुस्तकों के साथ आनंद प्राप्त करना सीख जाएँ तो हमें एकांत में होने का भय भी महसूस नहीं होगा, यह हमें सही अर्थों में साहस एवं धैर्य सिखाती है। आज भी कई लोग अपने साथ हनुमान चालीसा की छोटी किताब रखते हैं तथा डर लगने पर इसका पाठ करते हैं।
पुस्तकें ही सही रूप में चरित्र निर्माण करने में सहायक होती हैं। हमारे विभिन्न धर्म ग्रंथ रामायण, गीता, कुरान, गुरु ग्रंथ साहिब, बाईबल आदि जहां हमें धर्म एवं कर्म की सही राह दिखाते हैं। वही पंचतंत्र की कहानियां, हितोपदेश आदि हमें नैतिकता का सही रूप से पाठ पढ़ाते हैं। आज के समय में भी अनेक मोटिवेशनल स्पीकर अपनी पुस्तकों के द्वारा नकारात्मक भाव को स्वयं से दूर करने एवं सफलता प्राप्त करने की विभिन्न तैयारियों के बारे में उत्कृष्ट ज्ञान देते रहते हैं।
वर्तमान समय में युवा वर्ग समसामयिक ज्ञान एवं उत्तम विचारों से युक्त पुस्तकों को पढ़कर अपने चरित्र का विकास सही दिशा में कर सकते हैं, समाज को आगे बढ़ाने में तथा देश की एकता व अखंडता को मजबूत करने में अपना योगदान दे सकते हैं। यह जरूरी है कि घटिया पुस्तकों के अध्ययन से स्वयं को बचा कर रखें, यह ना केवल मानसिकता को विकृत करती है बल्कि नैतिकता व चरित्र के पतन में भी सहायक सिद्ध होती है।
अतः सही पुस्तकों का चयन करके, उसके ज्ञान को अपने जीवन में उतार कर हम अपने जीवन को सफल बना सकते हैं।
-प्रतिमा
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-प्रतिमा