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Saturday, 14 October 2017

आन्तरिक खूबसूरती सर्वोपरि

                               
                              खूबसूरती अपने आप में आकर्षक एवं रोचक शब्द है इस दुनिया के प्रत्येक मनुष्य का यह प्राकृतिक गुण है कि जब कोई भी सुंदर वस्तु या व्यक्ति उसके सम्मुख हो तो कुछ क्षण के लिए अनायास ही उसकी नजरें उस पर ठहर जाती हैं।
                               सौंदर्य की प्रशंसा प्राचीन काल से चली आ रही है। हमारे देश में अनेक महान राजा महाराजा के दरबार में कवि होते थे जो सौंदर्य की महिमा एवं गुणगान के संदर्भ में छंद व कविता गढ़ते थे। रीति काल में तो स्त्री-सौंदर्य पर अनेक कालजयी रचनाएं बनीं।  परंतु सिर्फ रूप की सुंदरता ही सुंदरता नहीं होती ना ही यह सुंदरता के सभी प्रतिमानों पर खरी उतरती है आंतरिक सुंदरता का महत्व बाह्य सुंदरता की तुलना में कहीं अधिक है। समाज के ज्यादातर हिस्से में हम देखते हैं कि सुंदर व्यक्ति से वे अभिभूत हो कर उसकी प्रशंसा दिल खोलकर करते हैं भले ही वह व्यवहार एवं चरित्र में शालीन ना हो।   इसी प्रकार से सामान्य रंग रूप के एक गुणी एवं चरित्रवान व्यक्ति को वह सम्मान नहीं मिलता जिसका कि वह हकदार है बल्कि अपनी अच्छाई उसे सिद्ध करनी पड़ती है। ज्यादातर लोग बाहरी सुंदरता की ही प्रशंसा करते हैं जबकि आंतरिक खूबसूरती की उपेक्षा कर देते हैं।
                              यह सत्य है कि बाहरी काया की खूबसूरती समय अंतराल बाद ढलनी शुरू हो जाती है जबकि आंतरिक सुंदरता का निखार उम्र व अनुभव के साथ दिनों-दिन निखरता जाता है।  अतः किसी भी व्यक्ति का मूल्यांकन उसके तन के बदले मन की सुंदरता के आधार पर किया जाना चाहिए।
                             हम अपने इस विचार को जितना तवज्जो देते हैं हमारा मन भी धीरे-धीरे इन विचारों को ग्रहण करने लगता है। एक अच्छा इंसान अपने आंतरिक सुंदरता के बल पर ही लाखों लोगों के हृदय में जिंदा रहता है। दुनिया में अनेक महान विभूतियां अवतरित हुई हैं जैसे महात्मा गांधी,नेल्सन मंडेला, एपीजे अब्दुल कलाम आदि। आज ये सभी अपनी आंतरिक खूबसूरती और अपने गुणों के कारण ही करोड़ों लोगों के दिलों में बसते हैं।
                            आज स्कूली शिक्षा के सबसे शुरुआती स्तर पर अर्थात नर्सरी स्कूलों में बच्चों में सौंदर्यबोध का विकास करना उनके पाठ्यक्रम का एक हिस्सा है अर्थात छोटे बालकों में यह बोध होना जरूरी है कि प्राकृतिक वस्तुओं जैसे सूरज,चांद,सितारे फूलों,इंद्रधनुष आदि में सौंदर्य होता है लेकिन जब एक सुंदर स्त्री या सुंदर पुरुष के संदर्भ में यह ज्ञान दिया जाए तब कच्ची उम्र से ही उन्हें यह एहसास कराना जरूरी है कि व्यक्ति की बाह्य सुंदरता की तुलना में उसके विचारों व उसके व्यवहार की खूबसूरती के मायने अधिक हैं। अतः एक बार जब बचपन में ही उनमें यह समझ विकसित कर दी जाएगी तो भविष्य में वे बाहरी सुंदरता के आधार पर लोगों का मूल्यांकन नहीं करेंगे। इससे भावी पीढ़ी द्वारा समाज में सही संदेश जाएगा तथा इस परिवर्तन द्वारा समाज में सही समझ विकसित होगी इससे किसी व्यक्ति का महत्व उसके आचार विचार व व्यवहार के आधार पर होगा ना कि सिर्फ चेहरे की सुंदरता के आधार पर ।
                           कहा जाता है कि "फर्स्ट इंप्रेशन इस द लास्ट इंप्रेशन" अर्थात हमारा पहला ध्यान किसी व्यक्ति के बाह्य सौंदर्य एवं रखरखाव पर ठहरता है परंतु उस क्षणिक ध्यान को स्थायी करने का काम गुणों का ही होता है। हमारे परिवार एवं वातावरण से मिले हुए संस्कार व चरित्र ही हमें अंदर से खूबसूरत बनाते हैं ,जब आप अपने आंतरिक सुंदरता को महत्व देते हैं तो आप में अधिक आत्मविश्वास का संचार होता है और इसी आत्मविश्वास के बल पर आप पूरी दुनिया जीतने की क्षमता रखते हैं।
                             वैसे भी आज के इस विकासोन्मुख समाज में "ब्यूटी विद ब्रेन" को ज्यादा अहमियत दिया जाने लगा है क्योंकि बाहरी खूबसूरती के ढलने के बाद भी आंतरिक सुंदरता लोगों से जोड़े रखती है।
                             इस विषय से संबंधित आपको एक प्रेरक कहानी बताती हूं एक राजा की दो बेटियां थी एक अति सुंदर वह दूसरी सामान्य। राज परिवार में सुंदर राजकुमारी को अधिक अहमियत दिया जाता था जिससे वह घमंडी हो गई थी जबकि सामान्य रंग रूप वाली राजकुमारी ज्यादा गुणी एवं बुद्धिमान थी। एक बार पड़ोसी राज्य के राजा ने इस राजा के सेनापति एवं महामंत्री के साथ षड्यंत्र रच कर अचानक हमला किया और राजा को बंदी बना लिया। पूरे राज्यसभा के सामने जैसे ही विजेता राजा, बंदी राजा की हत्या के लिए आगे बढ़ा ठीक उसके पीछे एक सर्प फन फैलाए खड़ा था। सुंदर राजकुमारी यह देख कर खुश हुई कि सर्प अब उसे काट लेगा परंतु दूसरी राजकुमारी ने उसी क्षण राजा को धक्का दे दिया और खतरे से आगाह कराया। पड़ोसी राजा यह देखकर अत्यंत खुश हुआ और अपनी जान बचाने के एवज में राजा व उसके राज्य को मुक्त कर दिया। यहां एक राजकुमारी की सुंदरता पर दूसरी राजकुमारी की बुद्धिमत्ता अधिक प्रभावी साबित हुई।
                           अतः एक आदर्श व्यक्तित्व प्राप्त करने के लिए जरूरी है कि आंखों को तृप्त करने वाली बाहरी सुंदरता के बदले आंतरिक सुंदरता की परख करने की क्षमता अधिक प्रभावी हो।

                                                                                                                -प्रतिमा 

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