दोस्तों मध्यम मार्ग की उपयोगिता आज के इस दौर में भी प्रासंगिक है।यह मार्ग "महात्मा बुद्ध" का दिया हुआ एक वरदान है,जिसके द्वारा हम आज के जीवन-चर्या मे भी अपनी कई समस्याओं का समाधान कर सकते हैं।
यह मार्ग 'अति' व 'कमी' के मध्य की स्थिति को सुझाता है। किसी भी चीज़ की अति अच्छी नही मानी जाती अर्थात 'अति सर्वत्र वर्जयेत्'। कई बार जब इन्सान के पास धन अधिक हो जाता है तो सामान्यतः वह अभिमानी हो जाता है और अभिमान की स्थिति में नैतिकता की कमी हो जाती है,जो एक मनुष्य के सन्तुलित विकास की प्रक्रिया में बाधक है।
जब मनुष्य के पास धन या ज्ञान की कमी होती है तब भी उसे अपने स्वाभिमान के साथ समझौता करना पड़ता है।
मध्यम मार्ग सच मे सुनहरी मार्ग है।यह इन्सान के व्यक्तित्व को सन्तुलन प्रदान करता है।इस स्थिति में वह निकृष्टता से बेहतर स्थिति में होता है। वह तुलनात्मक रूप से सम्मानजनक स्थिति में होता है साथ ही वह अपने से उच्चतर की ओर जाने के लिए प्रयासरत भी रहता है।परिवर्तन की यह स्थिति मानव के सहज स्वभाव व गतिशीलता की परिचायक है,अर्थात प्रकृति जो कि स्वयं चलायमान होती है और हम भी प्रकृति के एक अभिन्न अंग ही तो हैं।
हमारे दैनिक जीवन में भी कई समस्याएं ऐसी आती हैं जब हम निर्णय नहीं ले पाते हैं कि हम 'हाँ' का साथ दें या 'नहीं' का। उस स्थिति में यदि हम अपने स्वभाव में लचीलापन अपनाते हुए हाँ तथा ना के मध्य की स्थिति को चुनते हैं तो त्वरितहोने वाले नुकसान से बच जाते हैं । अतः जीवन के किसी भी क्षेत्र में मध्यम मार्ग की उपयोगिता कारगर सिद्ध होतीहै।
जिस तरह सितार के तार को अधिक कस देने से या उसे ढ़ीला छोड़ देने की दोनों ही स्थिति में तार सही तरह से झंकृत नहीं होते जबकि संतुलन की स्थिति में सितार के तार का सुरीलापन कानों में मिश्री के रस घोल देता है।
किसी भी चीज़ की अति व कमी दोनों अच्छी नहीं होती जबकि संतुलन साधने से कई समस्याएं सुलझ जाती हैं।
अतः मध्यम मार्ग सच में सुनहरी मार्ग है।
-प्रतिमा
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बहुत सुंदर. बुद्ध का मार्ग दुःख से छुटकारा दिलाने का मार्ग है.
ReplyDeleteThankyou sir....
DeleteVery nice
ReplyDeleteThank you
Deletevery nice
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